Date: 03-09-07
आज बहुत खुश हूँ. बरसों बाद एक जाने - पहचाने अहसास ने गुदगुदी कर दी है और मैं हँसता-हँसता बेहाल हो गया हूँ. हल्का महसूस कर रहा हूँ ....... और इतना ऊँचा ....... बादलों से भी किंचित ऊपर. Thank God !!! कभी - कभी ख़ुशी से ऐसे ही पागल कर दिया करो मुझे कि उन्मुक्त हो जाऊं ......... कि सारे बंधन तोड़कर कुछ वक़्त गुजार सकूँ तुम्हारे दरम्यां ......... कि अहसास हो कि दुनिया में सबसे धनी हूँ, सबसे संपन्न ....... कि जिंदगी की हर लालसा ख़त्म हो जाये कुछ वक़्त के लिए. मेरी जिंदगी को कुछ ऐसे बेशकीमती वक़्त देने के लिए धन्यवाद !!!!!!!!!
मैं अक्सर सपने देखता था , लेकिन कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ ......, इतनी आसानी से तुम्हारे दुर्लभ शब्द ............,तुम्हारे उँगलियों की बेशकीमती धड़कन ........., विश्वास नहीं होता है अब भी.
विश्वास नहीं होता है कि तुम इतनी दयालु हो सकती हो .........वो नियम, वो बंधन, वो बंदिशे ,...........विश्वास नहीं हो रहा है अब भी ........
काश !!! कि वैसा सबकुछ हो पाता जैसा कि हम चाहते हैं. कभी - कभी बहुत कुछ वक़्त के हाथ में छोड़ देना पड़ता है और करना पड़ता है इंतज़ार ...........
"जो हुआ अच्छा हुआ .............
जो हो रहा है अच्छा हो रहा है ............
और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ..............."
याद है जब तुम गाती थी तो हमारी class कैसे शांत हो जाया करती थी ..............काफी दिन हो गए किसी ने नहीं गाया ..."कहीं दूर जब दिन ढल जाये, साँझ की दुल्हन बदन चुराए .............................."
अपने बेसुरे गले से गुनगुनाता रहता हूँ आज भी.
तुम पहले कवितायें लिखा करती थी .................कभी -कभी बहुत लम्बी ...........अब न कोई गाता है, न कविता लिखता है और न ही रंगों से बनाता है गुलाब का फूल ..........जैसे पूर्व जन्म की बातें हो सब.
मैंने कई dairy लिख रखी है, ढेरों कवितायेँ, सहश्रों शब्द. तुम्हे एक -एक शब्द दिखाना चाहता हूँ.......
मैं तुम्हें कभी याद नहीं करता ..............मकर संक्रांति के दिन भी नहीं ...........राखी में भी नहीं ...............कभी नहीं ................hats off you !!!!!!!!!!!!!!!!